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डी० बी० एस० कॉलेज, कानपुर के भौतिक विज्ञान विभाग छात्र परिषद द्वारा एक व्याख्यान माला का आयोजन दिनांक 26.10.2023 को किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ कॉलेज के प्राचार्य प्रो० अनिल कुमार मिश्रा जी, मुख्य अतिथियों एवं कॉलेज के बरसर डॉ० सुनील कुमार जी द्वारा मां सरस्वती को माल्यार्पण करके किया गया|
प्राचार्य प्रोफेसर अनिल कुमार मिश्रा जी ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय विज्ञान की परंपरा विश्व की प्राचीनतम वैज्ञानिक परंपराओं में से एक है| आज विज्ञान का स्वरूप अत्यधिक विकसित हो चुका है इस आधुनिक वैज्ञानिक खोज की दौड़ में भारत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की विकास यात्रा प्रागैतिहासिक काल से आरंभ होती है। भारत का अतीत काल ज्ञान से परिपूर्ण था विश्व के सबसे प्राचीन वैज्ञानिक एवं तकनीकी विशेषज्ञ नालंदा विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण करते थे। इस कार्यक्रम के मुख्यवक्ता पी० पी० एन० कॉलेज, कानपुर के भौतिक विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ० सतीश चंद्र थे| उन्होंने छात्रों को बताया की आधुनिक युग में भारत में विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में नए-नए प्रयोग लगातार होते रहे हैं एवं भारतीय वैज्ञानिकों की उपलब्धियों के कारण पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन हुआ। प्रमुख वैज्ञानिकों में सर सी० वी० रमन ,प्रो० जे० सी० बोस, एवं प्रो० एम० एन० साहा आदि नाम उल्लेखनीय है। स्वाधीनता के बाद जहां भारत में समाज के हर क्षेत्र में तेजी से विकास किया गया तथा उपलब्ध क्षमता और प्रोत्साहन से विगत वर्षों में ही भारत ने विश्व की वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी की महान शक्तियों में अपना उचित स्थान प्राप्त किया। ब्रिटिश काल में ब्रिटिश शासकों द्वारा निर्मित विभिन्न वैज्ञानिक संस्थानों में केवल अंग्रेज छात्र ही प्रवेश ले सकते थे एवं भारतीयों के लिए प्रवेश वर्जित था| जिस कारण भारतीय विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी से वंचित रहे| इसीलिए पहला नोबेल प्राइज सर सी० वी० रमन को बहुत देर से प्राप्त हुआ। उन्होंने यह भी बताया कि 1942 से 1947 के मध्य भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा विभिन्न वैज्ञानिक संस्थाओं का गठन किया| जिसमें भारतीयों को वैज्ञानिक शोध के क्षेत्र में बढ़ावा मिला| आज देश की जीडीपी का सिर्फ 0.7% ही शोध तथा विज्ञान के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा खरच किया जा रहा है जोकि अन्य देशों के मुकाबले अत्यंत कम है| इसके बावजूद भी हमारे वैज्ञानिकों की जिजीविषा एवं लगन के कारण हम विज्ञान प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में तीव्र प्रगति कर रहे हैं।
इसी क्रम में वी० एस० एस० डी० कॉलेज, कानपुर से भौतिक विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ० मनोज भूषण पांडे जी ने छात्रों को विभिन्न प्रकार के माइक्रोस्कोपिक तकनीकियों के बारे में विस्तार से अवगत कराया। जिसमें ब्राइटफील्ड, डार्क फील्ड, पोलराइजेशन एवं प्रतिदीप्ति माइक्रोस्कोप शामिल है। उन्होंने यह भी बताया कि विभिन्न प्रकार की प्रकाश तरंगों को प्रयोग करके सूक्ष्म अणु एवं नैनो-पार्टिकल की गति एवं स्थिति को विभिन्न माध्यमों में अध्ययन किया जा सकता है।

विभागाध्यक्षा प्रो० प्रज्ञा अग्रवाल ने सभी छात्रों एवं छात्राओं को प्रोत्साहित किया कि वे विज्ञान एवं तकनीकी के विभिन्न आयामों में अपना ज्ञान वर्धन करना चाहिये| प्रो० प्रज्ञा ने यह भी बताया कि स्वदेशी वैज्ञानिक उपलब्धियों में मुख्य रूप से परमाणु परीक्षण, मिसाइल, चंद्रयान इत्यादि शामिल है| विभागाध्यक्षा प्रो० प्रज्ञा अग्रवाल ने सभी अतिथियों को धन्यवाद दिया|

कार्यक्रम का संचालन डॉ० स्वदेश गुप्ता एवं डॉ० आशीष शर्मा द्वारा किया गया| इस कार्यक्रम में मुख्य रूप प्रो० विकास मिश्रा, प्रो० धीरेन्द्र सिंह, डॉ ओ० पी० गुप्ता, डॉ० आर० के० मिश्रा, डॉ० महेंद्र कुमार, डॉ० ज्योति मिश्रा एवं डॉ० अजय प्रताप श्रीवास्तव उपस्थित थे | 

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